Patron Message (संरक्षक का सन्देश)
मेरे पिता राष्ट्रवीर बाबू निहाला सिंह जी स्वतंत्रता संग्राम के पुजारी, सत्य-अहिंसा की मूर्ति, निर्भीक, साहसी एवं संयमी सद्गुणों से ओत-प्रोत व्यक्तित्व वाले थे । उनके चरित्र में मानव कल्याणकारी गुणों का समावेश था, जो प्रकाशवान एवं शाश्वत है। राष्ट्रवीर निहाला सिंह देश एवं समाज के प्रति समर्पित थे । विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने के आरोप में उन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी परन्तु उन्होंने कभी स्वतंत्रता की साधना रुकने नहीं दी। जीवन पर्यन्त राष्ट्र साधना में व्यस्त रहे। ग्रामीण समाज में शैक्षणिक चेतना के विकास के प्रति आपके दृढ़ संकल्प का हीं प्रतिफल है कि आज उनकी 116 वीं जयन्ती के सुअवसपर पर कालिकाधाम इण्टरमीडिएट कालेज अपना अमृत महोत्सव एवं कालिकाधाम स्नातकोत्तर महाविद्यालय अपनी स्वर्ण जयन्ती मना रहा है। 22 जुलाई सन् 1998 ई. को भारत राष्ट्र का यह प्रकाश सदा-सदा के लिये काले बादलों में समाहित हो गया ।
शून्य मौन आकाश हो गये, शंकर के कैलाश हो गये ।
देशभक्ति की ज्वाला बनकर, यशमण्डल में व्याप्त हो गये ।।
संरक्षक
डा० तेगबहादुर सिंह
